रविवार, 17 दिसंबर 2017

धीरज के छंद बेहद भावपूर्ण हैं: माता प्रसाद

जमादार धीरज की पुस्तक ‘भावांजलि’ का विमोचन
बाएं से: विजय लक्ष्मी विभा, जमादार धीरज, सतीश आर्या, डाॅ. माता प्रसाद और श्याम विद्यार्थी

इलाहाबाद। जमादार धीरज की काव्य रचनाओं में छंद बेहद भावपूर्ण होते हैं, इनकी जितनी सरहना की जाए, कम है। ‘भावांजलि’ की कविताओं को पढ़कर हुए तबीयत बहुत ही गमगीन हो जाता है, धीरज जी ने इस पुस्तक में अपनी स्वर्गीय पत्नी को समर्पित करते हुए बेहद शानदार ढंग से भावना को व्यक्त किया है। यह बात अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डाॅ. माता प्रसाद ने ‘भावांजलि’ के विमोचन अवसर पर कही, कार्यक्रम का अयोजन राष्टीय साहित्य संगम के तत्वावधान में 16 दिसंबर को इलाहाबाद के राजरूपपुर स्थित धीरज आवास पर किया गया। अध्यक्षता दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक श्याम विद्यार्थी और संचालन गोपी कृष्ण श्रीवास्तव ने किया। गोंडा के गीतकार सतीश आर्य ने कहा कि जमादार धीरज की यह पुस्तक आसंुओं में नहाई हुई है, इसकी जितनी सराहना की जाए कम है। धीरज के छंद अपने आपमें अतुलनीय है। राजरूपपुर के पार्षद अखिलेश सिंह ने कहा कि अपनी पत्नी का याद करते पुस्तक लिख देना बड़ी बात है, इसके लिए धीरज जी बधाई के पात्र हैं। इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि जमादार धीरज शुरू से ही बेहतर रचनाकार रहे हैं, इनकी रचनाएं इनकी वेदना को शानदार तरीके व्यक्त करती है। जमादार धीरज ने कहा कि एक वर्ष पूर्व जब मेरी पत्नी का निधन हो गया तो लगा कि अब मैं कविता नहीं लिख पाउंगा, लेकिन बेटियों की प्रेरणा ने मुझे शक्ति दी और मैं इस पुस्तक का सृजन कर पाया। जमादार धीरज की पुत्रियां सीला शरण, उर्मिला सिंह, सीमा और मधुबाला ने भी विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्याम विद्यार्थी ने कहा कि वेदना से ही काव्य स्मृति भूटती है, और धीरज की रचना में उनकी वेदना बहुत ही शानदार हैं। अपनी शानदार रचनाओं के जरिए धीरज एक सफल कवि के रूप में आए हैं। इनकी रचनाओं से खासकर नए लोगों को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। 
दूसरे दौर में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता विजय लक्ष्मी विभा और संचालन मनमोहन सिंह ‘तन्हा’ ने किया। गोपी कृष्ण श्रीवास्तव, जमादार धीरज, फरमूद इलाहाबादी, शिवपूजन सिंह, डाॅ. विक्रम, यागेंद्र कुमार मिश्र, इम्तियाज़ अहमद गा़ज़ी, डाॅ. नईम साहिल, वाकिफ़ अंसारी, डाॅ. वीरेंद्र कुमार तिवारी, राधेश्याम ठाकुर, तलब जौनपुरी, विक्टर सुल्तानपुरी, सुनील दानिश, अना इलाहाबादी, विपिन श्रीवास्तव, मधुबाला आदि ने कलाम पेश किया। अंत जमादर धीरज ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित किया।



1 टिप्पणियाँ:

'एकलव्य' ने कहा…

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