शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017

गुफ्तगू के अक्तूबर-दिसंबर: 2017 अंक में




3. ख़ास ग़ज़लें: मीर तक़ी मीर, अकबर इलाहाबादी, परवीन शाकिर, मज़रूह सुल्तानपुरी
4. संपादकीय: समाज के प्रति जिम्मेदारी
5. आपकी बात
ग़ज़लें
6. प्रो. वसीम बरेलवी, मुनव्वर राना, बुद्धिसेन शर्मा, सैयद रियाज़ रहीम
7. सागर होशियारपुरी, डाॅ. नाहिद कयानी, तलब जौनपुरी, ऐनुल बरौलवी
8. अलका जैन शरर, चित्रा भारद्वाज, कृष्ण कुमार, अना इलाहाबादी
9. शशि मेहरा, मीनाक्षी नाज़, मनोज एहसास, कुमारी स्मृति
10. सविता वर्मा ग़ज़ल, इरशाद आतिफ़, अतिया नूर, अरविंद असर
11. आर्य हरीश कोशलपुरी, शमीम देवबंदी, गुलफिशां फात्मा अंजुम

12-19. कविताएं-
रामकृष्ण सहस्रबुद्धिे, दिलेर आशना दिओल, शशि पाधा, डाॅ. ज्योति मिश्रा, अंजली मालवीय मौसम, अमरनाथ उपाध्याय, गीता कैथल, नेहा अग्रवाल, अनुभूति गुप्ता, बिहाग श्रीवास्तव मुकुल, लीना चंदर, नवनीत अत्री, रुचि भल्ला, अनिता महुआर, लक्ष्मी श्रीवास्तव कादिम्बिनी
20-21. तआरुफ़: अनिल मानव
22-27. इंटरव्यू: प्रो. नामवर सिंह
28-30. चैपाल: साहित्य के पाठकों की संख्या कम हो रही है ?
31-32. विशेष लेख: प्रयाग का कुंभ और मेला संस्कृति: चंद्र प्रकाश पांडेय
33-35. कहानी: हलजोता - डाॅ. इश्तियाक़ सईद
36. उर्दू अदब: नोवेल की शेरियात - डाॅ. नीलोफ़र फिरदौस
37-40. तब्सेरा: पत्थर की आंख, पदचाप तुम्हारी यादों की, इतवार छोटा पड़ गया, मन दर्पण, समय की रेत पर, तिश्नाकाम, सहरा के फूल
41-45. अदबी ख़बरें
46. गुलशन-ए-इलाहाबाद: प्रो. राजेंद्र कुमार
47-50. डाॅ. बशीर बद्र के सौ शेर
परिशिष्ट: शैलेंद्र जय
51. शैलेंद्र जय का परिचय
52-53. कविता के प्रति सजग और प्रतिबद्ध: रविनंदन सिंह
54-56. मानवता की संरक्षता के लिए लिखी गई कविताएं: डाॅ. श्याम विद्यार्थी
57. समय को साथ लेकर चलने वाले कवि: अरुण शीतांश
58-80. शैलेंद्र जय की कविताएं

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